Monday 3 September 2012

MBA के चार दिन...


चले थे जब हम अपने घर से
तो आँखों में कई ख्वाब भरे थे
अब तो किसी भी पल देख लो
तो हर कोने में केवल नींद ही बची है

कहने को तो हुए है बस सात दिन 
लगता था ना रह सकेंगे घर वालो के बिन
पर हमारे दिल से पूछो तो लगता है बीत गयी है सदियाँ 
जीना यहाँ है और लगता है मरना भी यहाँ 

हैं यहाँ तीन जगह जहाँ हमारे 24 घंटे है कटते 
एक है girl's hostel जहाँ सिर्फ हम सामान है पटकते 
दूसरा है boy’s hostel जहाँ assignment बना बना के नहीं थकते 
और है हमारा RN5, जहाँ चाह के भी हम जग के नहीं जगते 

कहते है अब यही है हमारी अगले दो साल की सौगात 
ना  किसी रात का अंत तो न किसी सुबह की शुरुआत 
पर हमे उम्मीद भी है और यकीन भी की निभाते रहेंगे एक दूजे का साथ 
चाहे हो मुसीबत में साथ या फिर हो birthday की लात!

No comments:

Post a Comment