Thursday 27 August 2015

तुम ही हो !

इतना वक़्त गुज़र चुका हमें एक संग
पर एहसास तो कुछ पलों का भी नहीं
लोग कहते है कि ये लड़कपन है
पर अगर 'ये' इश्क़ नही तो कुछ भी नही !

पूछा मुझसे किसी ने इक सवाल
कि हुआ मुझे किस पल यक़ीं कि हो वो तुम ही
क़ाफी वक़्त लगा मुझे सोचने में जवाब
कहा मैंने गर 'वो' तुम नही तो कोई और भी नही !

जिस क़दर मुझे चाहत है तुमसे
न है ये एक नशा, तुम एक आदत भी नही
शायद कोई लफ्ज़ नही जो कर सके इसे बयाँ
पर गर 'ये' सच नही तो सच कुछ भी नही !

संग रहना है तुम्हारे मुझे अब बस
आज नही, कल नही, अगले बरस ही सही
न जाने कब होगा ये हक़ीक़त में
पर गर 'ये' मुमकिन नही, तो मुमकिन कुछ भी नही !