Wednesday 12 December 2012

Then or Now?


There was a time
when I could write
numerous lines for you
endless thoughts
all my feelings
and it felt, it’s never gonna end!
But then, my heart asks
Why did it stop now?
I think hard…
I think hard enough
And then… I realize
I realize that
today is here
and I spend
all my day
sitting beside you
in your arms
talking to you
the whole day and night
sharing with each other
what we feel,
how deeply we love
and how lucky we are…
That answers my doubts
I used to write to let you know
the feelings inside my heart
and now I tell you
directly, lying in your arms…
that also raises another question
that only you could answer
“Which is better?”
Then – or – Now
After all…
It’s all for you…
It’s all about you!!

Friday 30 November 2012

संग तेरा मेरा...



जैसा रिश्ता है बारिश का 
इस जगह से 
बस कुछ वैसा ही रिश्ता हो 
काश मेरा तुमसे !

जैसे हर पल खूबसूरत नज़ारें 
दिखते है यहाँ से 
काश हर लम्हा हमारा
वैसा ही खूबसूरत रहे !

जितना प्यारा इन पहाड़ों का 
इन वादियों का साथ है 
काश उतना ही गहरा हमारे 
रिश्ते की सौगात हो !

जैसे कोई सीमा नहीं इन 
बादलों के लिए
काश वैसे ही ना हो कोई
बंधन हमारे प्यार में !

Tuesday 30 October 2012

तुम क्या जानो



वो कुछ पल की दूरियां तुमसे 
कितनी बेचैन कर देती है, तुम क्या जानो !
हर घडी कितना लम्बा लगता है 
बयां भी कैसे करें, तुम क्या जानो !

वो करीबी के हसीं लम्हें तुम्हारे संग 
कितनी मुस्कुराहट लाती है दिल में 
पर कितना अजीब है उसके बाद का डर 
मुझे खुद हैरानगी होती है, तुम क्या जानो !

उस डर के पल में तुम्हारा संग होना 
कितना सुकून पहुँचाता हैं मन को  
बस संग तुम्हारे कंधे पे सिर रख के 
कितना आसान है तुमसे कह जाना सब बात, तुम क्या जानो !

तुम्हारा बातें करते करते सो जाना 
कितना प्यारा है तुम क्या जानो !
और फिर भी हर बार तुम्हारा कहना 
कि अब से नहीं, कितना भोला है, तुम क्या जानो !

कहने को दिल तुमसे ना जाने 
क्या क्या करता है 
बस साथ न देता दिमाग़ मेरा वरना
इंतज़ार कितना है उस पल का, तुम क्या जानो !

Monday 1 October 2012

कुछ अनमोल सवाल...



वो कुछ हसीं लम्हें 
जो गुज़ारे थे तुम्हारी बाहों में 
वो सुकून और वो शांति 
जो महसूस किया था हमने 
कितना अनमोल एहसास है, है ना?

वो आँखों में आखें मिला के
बिना कहे सारी बातें समझ जाना
वो हाथों में हाथ डाल के
बिना कुछ बोले घंटे बिताना
कितने क़ीमती पल है, है ना?

ये लगाव, ये स्नेह, कब शुरू हुआ और कब बढ़ा
इसका आभास तो कभी हुआ भी नहीं
शायद तब जब रातों में साथ घूमे
या फिर तब जब चार-चार बजे तक की हमने बातें
पर शुरुआत से क्या फर्क पड़ता है, है ना?


बस उम्मीद यही है कि 
पास रहोगे तुम मेरे हमेशा 
चाहे ग़म हो या हों ख़ुशी 
मुश्किलें आये किसी भी घडी
दिल को यकीन है कि साथ दोगे तुम, दोगे ना?

Friday 28 September 2012

अन्जान ख़ुशी..


"This poem describes my happiness for which I really really couldn't find any substantial reason...just had smile on my face 24 hours... I describe this state as : Happy-Go-Lucky state!..Here it goes..."

एक वो खुशी है 
जिसकी वजह तुझे पता है 
कोई पूछे गर 
"क्यों खुश हो तुम आज"
तो झट से हाज़िर हो जवाब 
एक दूसरी ख़ुशी 
बस खुश हो जहाँ तुम
ना जाने क्या वजह 
ना जाने कौन वजह
बस खुश हो!
चेहरे पे हर पल एक हँसी है !!
लोग पूछ के हैराँ है!!..??
और तुम...बस मुस्कुराए चले हो …

बस…
कुछ आज वैसे ही खुश हूँ मैं भी 
हर ग़म हर चिंता से बेपरवाह हूँ मैं
शायद ये इस वजह से 
शायद ये उस वजह से
या फिर है ये तुम्हारी वजाह से 
क्या फरक पड़ता है??
ऐसी ख़ुशी तो अनमोल है 
और इसका अंत भी नहीं 

बस…
जी रहे हैं ये पल
मुस्कुराते हुए 
ख़ुशी बांटते हुए 
प्यार बढाते हुए…