Friday 28 September 2012

अन्जान ख़ुशी..


"This poem describes my happiness for which I really really couldn't find any substantial reason...just had smile on my face 24 hours... I describe this state as : Happy-Go-Lucky state!..Here it goes..."

एक वो खुशी है 
जिसकी वजह तुझे पता है 
कोई पूछे गर 
"क्यों खुश हो तुम आज"
तो झट से हाज़िर हो जवाब 
एक दूसरी ख़ुशी 
बस खुश हो जहाँ तुम
ना जाने क्या वजह 
ना जाने कौन वजह
बस खुश हो!
चेहरे पे हर पल एक हँसी है !!
लोग पूछ के हैराँ है!!..??
और तुम...बस मुस्कुराए चले हो …

बस…
कुछ आज वैसे ही खुश हूँ मैं भी 
हर ग़म हर चिंता से बेपरवाह हूँ मैं
शायद ये इस वजह से 
शायद ये उस वजह से
या फिर है ये तुम्हारी वजाह से 
क्या फरक पड़ता है??
ऐसी ख़ुशी तो अनमोल है 
और इसका अंत भी नहीं 

बस…
जी रहे हैं ये पल
मुस्कुराते हुए 
ख़ुशी बांटते हुए 
प्यार बढाते हुए…

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