Wednesday 26 September 2012

कुछ ख़ास हैं!

"This poem is again dedicated to my friend(s) who have made me so happy and at the same time made me feel so pampered..:P...I am amazed, how people can be so caring!..Here it goes..."


सुबह की बारिश में तुम्हारे संग वो कुछ पल 
कितने क़ीमती हैं शायद तुमको खबर भी नहीं!
तुम्हारे वो बिना बात की बातें करना 
कितनी पसंद हैं मुझे शायद तुम्हे पता भी नहीं!

वो हर पल तुम्हारा मुझे मुस्कुराते हुए देखने की चाहत
कितनी लुभा जाती हैं दिल को क्या कहें!
वो तुम्हारा प्यार जताना हर पल हर लम्हा
कितना मन मोह जाता हैं कैसे बयां करें!

हर पल तुम्हारा वो ख्याल करना
कितना अच्छा लगता है ये बताने की ज़रूरत नहीं!
बस हैरानी होती है कभी कभी
की इतने अच्छे आखिर हो तुम कैसे!

एक वादा किया था दिल से मैंने अपने 
कि फिर मोहब्बत नहीं करेंगे
पर अब समझ नहीं आता कि कैसे
दूर रह सकेंगे हम तुमसे! 

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