Thursday 6 September 2012

अल्विदा!!

क्यो आ जाते हो तुम मेरे ख्वाबो में 

तुमसे नाता तोड़ चुकी हूँ मैं 

क्यों आ जाते हो तुम मेरी मदद के लिए 

तुम्हारे बिन जीना सीख चुकी हूँ मैं 


एक वजह थी कि मैंने भुलाया था तुम्हे  

क्यों उस वजह को भुलवाना चाहते हो तुम 

बड़े मुश्किलों से बंद किया है दिल के किसी कोने में तुम्हे 

क्यों उस कोने का ताला खुलवाना चाहते हो तुम 


एक नयी जगह नयी शुरुआत करने आयी हूँ मैं 

क्यों उसमे भी अपनी यादें मिलाना चाहते हो तुम 

गर कहते हो कि भला चाहते हो मेरा 

क्यों अनजाने में फिर दिल पे दस्तक दे जाते हो तुम 


पर अब बस बहुत हुआ 

इस बार न झुकुंगी अपने दिल के आगे मैं 

करुँगी वही जो दिमाग़ कहता है सही 

माफ़ करना गर दिल दिखा दूँ तुम्हारा तो 


एक आखिरी बार तमन्ना थी तुम्हे अल्विदा कहने की

पर हर आखिरी बार एक अगले आखिरी का इंतज़ार रहता है 

इसलिए इस बार बिना आखिरी अलविदा के ही

कह देते है हम तुम्हे अल्विदा!

अल्विदा ! अल्विदा ! अल्विदा !

2 comments:

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    1. haha..:D
      No..this one I wrote after coming here "nayi jagah nayi shuruat"..u c..:P
      And thanks again..:)

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