बहुत दिनों बाद यूँ खाली वक़्त पाकर
सोचा... चलो करे कुछ दिल की बात उजागर
बताने को तो बहुत कुछ है मगर
संभव कहाँ है सब बयां करना यहाँ पर
कहने की कोशिश तो पूरी करेंगे
शुरू से अंत तक हम सब कुछ कहेंगे
बस एक ही बात का डर है इस दिल में
कहीं समझने वाले ही न रहे इस महफ़िल में
शुरुआत में तो बहुत कुछ था जिसका इंतज़ार था
पर वक़्त बीतते इतना कम वक़्त लगेगा...किसको पता था
और अब किस मोड़ पे खड़ी हूँ मैं एक अकेली तन्हा
ना जाने इसका जवाब आगे किस मोड़ पर मिलेगा
जहाँ एक ओर मैं नए रिश्ते बना रही थी
वही दूजी ओर कुछ को अंतिम राहें दे रही थी
कहीं तो कुछ उलझी बातो को सुलझा रही थी
और कहीं किसी कोने में खुद उलझती जा रही थी..
अगर कुछ पुरानी चीज़े खोयी हैं मैंने
तो कुछ नयी चीज़ पाने की पूरी उम्मीद है इस दिल में
बस अब इंतज़ार है कब आयेंगे वो लम्हे
जब दिल-ओ-दिमाग से खुश रह सकुंगी मैं
आखिर क्या कुछ नहीं बदला इस वर्ष में
कुछ अच्छा हुआ तो कुछ बुरा हो गया पल भर में
आखिर ये सब बाते कहती मै किससे
सब अन्दर समाते हुए...बाहर आई एक नयी मैं...
तो कुछ नयी चीज़ पाने की पूरी उम्मीद है इस दिल में
बस अब इंतज़ार है कब आयेंगे वो लम्हे
जब दिल-ओ-दिमाग से खुश रह सकुंगी मैं
आखिर क्या कुछ नहीं बदला इस वर्ष में
कुछ अच्छा हुआ तो कुछ बुरा हो गया पल भर में
आखिर ये सब बाते कहती मै किससे
सब अन्दर समाते हुए...बाहर आई एक नयी मैं...
Wow!!
ReplyDeleteवाह वाह अंकिता जी ! चलो कुछ उजागर किया आपने ! :):)
ReplyDeleteKya baat hai Miss....ye side aapki to hamein pata hi nhi thi aapki...keep it going Ankita...Good Luck
ReplyDeletekya baat hai ....
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