वो कुछ पल की दूरियां तुमसे
कितनी बेचैन कर देती है, तुम क्या जानो !
हर घडी कितना लम्बा लगता है
बयां भी कैसे करें, तुम क्या जानो !
वो करीबी के हसीं लम्हें तुम्हारे संग
कितनी मुस्कुराहट लाती है दिल में
पर कितना अजीब है उसके बाद का डर
मुझे खुद हैरानगी होती है, तुम क्या जानो !
उस डर के पल में तुम्हारा संग होना
कितना सुकून पहुँचाता हैं मन को
बस संग तुम्हारे कंधे पे सिर रख के
कितना आसान है तुमसे कह जाना सब बात, तुम क्या जानो !
तुम्हारा बातें करते करते सो जाना
कितना प्यारा है तुम क्या जानो !
और फिर भी हर बार तुम्हारा कहना
कि अब से नहीं, कितना भोला है, तुम क्या जानो !
कहने को दिल तुमसे ना जाने
क्या क्या करता है
बस साथ न देता दिमाग़ मेरा वरना
इंतज़ार कितना है उस पल का, तुम क्या जानो !
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