वो कुछ हसीं लम्हें
जो गुज़ारे थे तुम्हारी बाहों में
वो सुकून और वो शांति
जो महसूस किया था हमने
कितना अनमोल एहसास है, है ना?वो आँखों में आखें मिला के
बिना कहे सारी बातें समझ जाना
वो हाथों में हाथ डाल के
बिना कुछ बोले घंटे बिताना
कितने क़ीमती पल है, है ना?
ये लगाव, ये स्नेह, कब शुरू हुआ और कब बढ़ा
इसका आभास तो कभी हुआ भी नहीं
शायद तब जब रातों में साथ घूमे
या फिर तब जब चार-चार बजे तक की हमने बातें
पर शुरुआत से क्या फर्क पड़ता है, है ना?
बस उम्मीद यही है कि
पास रहोगे तुम मेरे हमेशा
चाहे ग़म हो या हों ख़ुशी
मुश्किलें आये किसी भी घडी
दिल को यकीन है कि साथ दोगे तुम, दोगे ना?
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