एक नन्हे परी से मिली मैं एक बार
देख कर रह गई मैं हैरां
कि उन मासूम नज़रों में
कितनी आसान और सुलझी होती है ये दुनिया
वो हवा हवा कहा जा रहा था
मैंने पूछा, “ये हवा कहाँ है?..ज़रा दिखाओ तो!”
उसने बड़ी नादानी से हिलते हुए फूल की तरफ़
इशारा करते हुए कहा “हवा!!”
और मैं रह गयी हैरान!
अगले दिन, उसे उसकी माँ समझा रही थी
हाथ जोड़ के “जय भगवान” करने को
फिर उससे पूछा मैंने
कि भगवान कहाँ दिखते है?
उसने झट से अपनी आँखे बंद की और बोला “भगवानजी”
और फिर से मैं हो गयी अचंभित!
काश की होता इतना ही आसान हमेशा
सदा रहती ऐसी सुलझी सोच
सदा रहती ऐसी सुलझी सोच
तो ना होती इतनी मुश्किलें
ना ही होता किसी मानुष के मन में तनाव..
काश की अंतिम दम तक रह पाता
ऐसा ही भोला नादान मन!